---

logo

भारतीय व्यापार संघ के उद्देश्य


1).व्यापार से जुड़े सभी व्यक्तियों को एकजुट कर राष्ट्र हित के विकास के लिए प्रेरित करना।

2).व्यापार से जुड़े लोगों की समस्याओं के लिए कार्य करना।

3).व्यापारी वर्ग की समस्याओं से शासन प्रशासन को अवगत करना।

4).व्यापारिक समस्याओं के निराकरण के लिए व्यापार को छोटे-छोटे वर्गों में विभाजित करके उनके लिए अलग-अलग पोस्ट बनाना और प्रकोष्ठ की समस्याओं के समाधान का प्रयास करना।

5). वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ कार्य करना तथा संपूर्ण भारतवर्ष में वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार करना।

6). विश्व शांति का प्रयास करना तथा मानवीय मूल्यों की रक्षा हेतु अहिंसा का प्रचार प्रसार करना।

7). वृद्धों,असहाय,कमजोर व रोगी व्यक्तियों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराना उनके लिए वृद्ध आश्रमों की स्थापना कर उनका संचालन करना।

8). सर्वधर्म सदभाव की भावना को जागृत करने का प्रयास करना तथा मानव धर्म सर्वोपरि है का, प्रचार प्रसार करना।

9). संगठन का उद्देश्य भारतवर्ष के युवाओं का सामाजिक, नैतिक,बौद्धिक,शैक्षिक,चारित्रिक,शारीरिक,साहित्यिक, रचनात्मक एवं कलात्मक उन्नति का समुचित प्रयास करना।

10). निर्धन,अनुसूचित जाति,जनजाति के बच्चों को निशुल्क शिक्षा व उनके छात्रवृत्ति की समुचित व्यवस्था करना तथा सभी व उनकी सुविधा हेतु शिक्षण संस्थान,छात्रावास,पुस्तकालय एवं वाचनालय आदि की स्थापना करना।

11). केंद्रीय एवं राज्य सरकारों,समाज कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग,वाणिज्य,औद्योगिक व खनन मंत्रालय आदि द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित कराना एवं संबंधित विभागों से संपर्क स्थापित कर निशुल्क सहायता प्राप्त करना।

12). समय-समय पर सांस्कृतिककार्यक्रमों,गोष्ठियों, स्वास्थ्य,रक्षा,राहत, जन राजनीति शिविरों,कला प्रदर्शनियों का आयोजन करना तथा प्रौढ़ शिक्षा,अनौपचारिक शिक्षा कार्यक्रम प्रदर्शनी का उन्मूलन कार्यक्रम,मद्दनिषेध कार्यक्रम चलाना।

13). केंद्रीय और राज्य सरकार निगम बोर्ड,संबंधित विभागों के वित्तीय सहयोग से लोगों के कल्याण हेतु एवम् उन्हें आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बनाने हेतु सुलभ प्रशिक्षण जैसे सिलाई,कढ़ाई,बुनाई,हस्तशिल्प कला,वास्तुकला,दस्तकारी दरी कालीन,ड्राइंग,पेंटिंग कला प्रशिक्षण तथा टंकण, आशुलिपि,संगीत एवं कंप्यूटर प्रशिक्षण देना।

14). किसान समस्या निवारण केंद्रों की स्थापना कर उनकी समस्याओं के निराकरण का प्रयास करना।

15). किसानों की आर्थिक दशा सुधारने एवं निजी उद्योग उपलब्ध कराने हेतु स्वदेशी तकनीक विधि को विकसित करा कर टमाटर,गाजर,शलगम,लौकी,पालक,आलू आदि सब्जियों से सूप,चिप्स आदि का उद्योग गांव गांव में स्थापित करना।

16). शिल्पियों तथा कलाकारों का संरक्षण करना तथा प्राचीन भारतीय शिल्पकला एवम् संस्कृति के संरक्षण का प्रयास करना

17). अंत्योदय हेतु विभिन्न कुटीर उद्योग धंधों के निर्माण के लिए समूहों का गठन कर रोजगारपरक बनाकर आर्थिक उन्नति को प्रोत्साहित करना।

18). फलों को संरक्षित करने तथा उसके रूपांतरण जैसे जेली,मुरब्बा,अचार आदि बनाकर उन्हें संरक्षित करने की विधियों के संबंध में विभिन्न लोगों को प्रेरित करना।

19). कामगारों मजदूरों की स्थिति सुधारने, उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाने का प्रयास करना उनके बच्चों के लिए समुचित शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रयास करना।

20). भूमि एवं कृषि को उर्वरक बनाने हेतु गोबर तथा गोमूत्र से जैविक खाद एवं भूमि को बंजर होने से बचाना।

21). दुर्घटना में घायल एवं बूढ़ी,बीमार गायों को गौशाला में लाकर इलाज हेतु समुचित स्वास्थ्य की व्यवस्था करना।

22). गोमूत्र,गोबर आदि से शोध केंद्र(बड़ा प्लांट) खोलकर विशेषज्ञों द्वारा औषधि,कागज,लकड़ी,बायोगैस,अगरबत्ती आदि का निर्माण करना।

23). भारतीय प्रजाति देसी नस्ल की गायों को पूर्ण संरक्षण देना।

24). भारतीय प्राचीन संस्कृति के प्रति लोगों में जागरूकता, चेतना पैदा करना, संस्कृति एवं भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना।

25). भारत की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का प्रयास करना एवं स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देना हेतु प्रचार प्रसार करना।

26). बेरोजगारों को रोजगार के लिए प्रेरित करना उन्हें सामूहिक रूप से आर्थिक संसाधन जुटाकर आर्थिक विकास के लिए प्रेरित करना जिससे वह राष्ट्र निर्माण में अपना सकारात्मक सहयोग दे सकें।

27). फूलों को संरक्षित करने तथा उनके रूपांतरण से जैसे जेली मुरब्बा आदि बनाकर उन्हें संरक्षित करने की विधियां आदि के संबंध में विभिन्न लोगों को प्रेरित करना।

28). पर्यावरण की रक्षा हेतु जन जागृति जैसे वृक्षारोपण, जलसंधारण व हरित क्रांति जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करना।

29). पर्यावरण की रक्षा हेतु जनसाधारण को जागरूक करने हेतु गोष्ठी,विद्यालयों एवं कॉलेजों में पर्यावरण विषय पर निबंध लिखना तथा वाद विवाद जैसे कार्यक्रम आयोजित कर छात्र-छात्राओं को जागरूक करना।

30). जन सामान्य को आर्थिक उत्थान हेतु हर प्रकार की मदद सुविधा उपलब्ध कराना।

31). संस्था के अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतु राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से दान,चंदे व अन्य किसी भी प्रकार का सहयोग ले सकती है तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूसरे किसी देश की अथवा समस्या के निवारण के लिए वहां की स्थानीय संस्था के साथ मिलकर अथवा सीधे सहयोग ले सकती है।

32). नागरिकों के कल्याणार्थ वर्ल्ड बैंक के सहयोग से चलाई जा रही योजनाओं का सफल संचालन व उनकी जानकारी देना।

33). आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के प्रति देशवासियों को जागरूक करना एवं भारतवर्ष के प्रत्येक शहर/गांवों में आयुर्वेदिक अस्पतालों का निर्माण करना।

34). भारतवर्ष के प्रत्येक राज्य में व्यापारी कल्याण बोर्ड की स्थापना हेतु सरकार को प्रेरित करना जिससे व्यापारी समस्या हेतु विक्रयकर, मनोरंजन कर,तोल व प्रदूषण विभाग जैसे सभी विभागों की समस्याओं का समाधान एक छत के नीचे किया जा सके, का प्रयास करना।

35). भारतवर्ष में एक लाइसेंस प्रणाली हेतु सरकार से बातचीत कर समाधान करना।

36). संपूर्ण भारत वर्ष के उद्योग व्यापार वाणिज्य तथा उत्पादन की अभिव्यक्ति आदि के लिए कार्य करना तथा व्यापारियों के हितों के प्रति जागरूक रहकर उनके कल्याणार्थ कार्य करना।

37). उद्योग व्यापार संचालन के लिए न्याय उचित तथा समाज संयत नियमों के व्यापार के लिए विधान एवं नियम निर्माण हेतु प्रश्न करना। उद्योग व्यापार में नैतिकता लाने की चेष्टा करना तथा उद्योग व्यापार संबंधी कानूनी,सामाजिक नियमों एवं परपटी में समानता लाना।

38). उद्यमियों एवं व्यापारियों को सरकारी कार्यालयों, वित्तीय निगमों,अन्य सरकारी एवं गैर सरकारी संस्था से होने वाली अड़चनों को दूर करने में सहायता देना। व्यापारिक समस्याओं के निवाणनार्थ प्रयास करना एवं व्यापारी बंधुओं को व्यापारी समितियों में भागीदारी दिलाना।

39). उद्योग व्यापार एवं वाणिज्य से संबंधित विषयों के आंकड़े एकत्रित एवं संकलित कर उन्हें सदस्यों को जानकारी हितार्थ प्रकाशित/ वितरित करना।

40). उद्योग व्यापार तथा वाणिज्य के विकास प्रगति एवं उन्नति के अनुकूल एवं विधायकों को प्रस्तुत करने का प्रयत्न करना एवं प्रतिकूल विधायकों का शांतिपूर्ण वैधानिक प्रणाली से समाधान करने का प्रयास करना।

41). मुनाफाखोरी ,जमाखोरी,मिलावटी,नकली माल एवं कर अपवंचन पर अंकुश लगाने हेतु सहयोग करना। व्यापारी समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर कर नई चेतना जागृत करना।

42). खोखा,पटरी दुकानदारों के उत्थान के लिए कार्य करना तथा व्यवसायियों में एकता व नीतिमत्ता स्थापित करना।

43). कृषि बाजार में आने वाली व्यवहारिक कठिनाइयों में व्यापारी, उद्यमी एवं किसानों में सामंजस्य व सहयोग उत्पन्न कराना, पशुपालन एवं कृषि को बढ़ावा देने हेतु प्रयासरत रहना।

44). जन कल्याण हेतु बाजारों व मंडियों में उचित स्थानों पर नियमानुसार शासन व प्रशासन की अनुमति से शौचालय,गेस्ट हाउस ,चिकित्सालय, पुस्तकालय, गौशाला आदि की स्थापना एवं व्यवस्था हेतु समितियों का गठन करना।

45). उद्योग व व्यापार हेतु अनुसंधान शाखाएं स्थापित करना व नई तकनीकी के विकास हेतु अनुसंधान कर आम जनता को अवगत कराना।

46). देश प्रदेश एवं जनसाधारण की, बाढ़, सूखा, अग्निकांड एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं के समय सहतार्थ करना।

47). जनसाधारण विशेषकर उद्योगों एवं व्यापारियों को कानून की जानकारी देने हेतु विचार गोष्ठियां एवं सेमिनार आयोजित करना व कानूनी सहायता प्रदान करना।

48). वन्य जीव जंतुओं की सुरक्षा जंतुओं की विलुप्त हो रही जातियों के बचाव/जनसंख्या नियंत्रण हेतु उपाय व चल अचल अस्पतालों की व्यवस्था कर निशुल्क संचालन करना।

49). उद्योगों व्यापारियों वाले संस्थानों आदि की समस्याओं को एकजुटता से मिलकर उनके समाधान हेतु केंद्र एवं प्रदेश सरकारों से मिलना।

50). देशभर की समान उद्देश्य वाली संस्थाओं को अपनी संस्था से जुड़ना व जुड़ना।

51). संपूर्ण भारत वर्ष के हर प्रदेश,मंडल, जिला, महानगर, तहसील,ब्लाक एवं कस्बों में संगठन के अध्यक्ष की नियुक्ति करना व उनके द्वारा कमेटी का गठन करवाना तथा उनके लिए नियम व उप नियम बनाना।

52). शिक्षा संस्थान खोलना एवं स्थानीय स्तर पर चल रहे विद्यालयों से संबंध करना उनके लिए प्रबंध कार्यकारिणी समिति की नियुक्ति व नियम बनाना।

53). असहाय,निर्धन,विधवा,दलित महिलाओं के लिए छात्रावास,व्यायामशाला,तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र, पुस्तकालय,अस्पताल,स्कूल,सिलाई,कढ़ाई केंद्र,कंप्यूटर प्रौढ़ शिक्षा आदि का निशुल्क संचालन करना।

54). एड्स,कैंसर,पोलियो,टीवी,मधुमेह,करोना,डेंगू, चिकनगुनिया आदि जानलेवा बीमारियों की पहचान व रोकथाम हेतु जागरूकता शिविरों का आयोजन करना।

55). केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा प्रदत्त विभिन्न योजनाओं की व्यापारियों को जानकारी देना व लाभान्वित कराना।

56). ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब,सड़क, कुएं व सोलर लाइट आदि के विकास हेतु सरकारी व जन भागीदारी से व्यवस्था करना।

57). ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदेश और केंद्र सरकार की मदद से बेयर हाउस का निर्माण करना।

58). कला,खेल,गायन आदि के क्षेत्र में प्रतिभाशालियो को अवसर प्रदान करना।

59). विकलांग, मूक, बाधिर व्यक्तियों/बच्चों के लिए कृत्रिम अंगों व उपयोगी सन साधनों की व्यवस्था करना।



उपरोक्त के अतिरिक्त उद्योग,व्यापार,वाणिज्य तथा उत्पादन की समृद्धि एवं उससे संबंधित सभी व्यक्तियों की अभिवृद्धि और समुन्नत के लिए वह सभी कार्य करना जो अनुवांशिक व पूरक हैं तथा सोसाइटी रजिस्ट्रार की धारा के अंतर्गत है।