भारतवर्ष में हद समय व्यापारियों की समस्या बहुत जटिल विषय हैं व्यापारी नेता व्यापारी हितों को की चिंता नकरके विभिन्न राजनीतिक दलों की लोलुपता में बहुत है सिर्फ व्यापारी नेता होने का दिखावा कर राजनीतिक दलों सरकारी महाकमो मैं अपना उच्च स्थान प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहते हैं उन नेताओं द्वारा व्यापारिक समस्याओं का निराकरण करने का प्रयास तक नहीं किया जा रहा इसलिए आज व्यापारी समाज समस्याओं से ग्रसित है व्यापारियों की समस्याओं के निराकरण के लिए प्रयास करने वाला कोई नहीं है और किन्ही व्यापारी संगठनों द्वारा देश के व्यापारिक समाज को विभक्त एवं खंडित करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है रोज एक नया संगठन (व्यापार मंडल) तैयार हो जाता है और उन छोटे छोटे व्यापार मंडलों में बंट कर रहे गए हैं ! आज आवश्यकता है कि हम सब एक संगठन के साथ आजा वे व्यापारी को देश की अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी कहा जाता है फिर भी सरकार व्यापारियों को कमजोर करने में नहीं चृकती है व्यापारी समाज पूर्ण रूप से असंगठित हो चुका है और असंगठित व्यापारी समाज सरकारों से नहीं जूझ सकता इसलिए एक ऐसे संगठन की आवश्यकता है जो व्यापारी समस्याओं को तत्काल निराकरण करावे इसलिए भारतीय व्यापार संघ के नेतृत्व में संपूर्ण देश के व्यापारियों के हितों को निमित्त लाभ बंद करने के प्रति कटिबद्ध है जब तक व्यापारी समाज संगठित नहीं होगा तब तक उसका प्रशासन शासन रगदारो द्वारा शोषण होता रहेगा इसी प्रकार की सभी समस्याओं का अनुभव करके उनके निराकरण एवं व्यापारी समाज के हित लाभ हेतु भारतीय व्यापार संघ का उदय हुआ है और देखें...
1).व्यापार से जुड़े सभी व्यक्तियों को एकजुट कर राष्ट्र हित के विकास के लिए प्रेरित करना।
2).व्यापार से जुड़े लोगों की समस्याओं के लिए कार्य करना।
3).व्यापारी वर्ग की समस्याओं से शासन प्रशासन को अवगत करना।
4).व्यापारिक समस्याओं के निराकरण के लिए व्यापार को छोटे-छोटे वर्गों में विभाजित करके उनके लिए अलग-अलग पोस्ट बनाना और प्रकोष्ठ की समस्याओं के समाधान का प्रयास करना।
5). वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ कार्य करना तथा संपूर्ण भारतवर्ष में वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार करना।
6). विश्व शांति का प्रयास करना तथा मानवीय मूल्यों की रक्षा हेतु अहिंसा का प्रचार प्रसार करना।
7). वृद्धों,असहाय,कमजोर व रोगी व्यक्तियों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराना उनके लिए वृद्ध आश्रमों की स्थापना कर उनका संचालन करना।
8). सर्वधर्म सदभाव की भावना को जागृत करने का प्रयास करना तथा मानव धर्म सर्वोपरि है का, प्रचार प्रसार करना।